Hindi Diwas / Hindi Day 2014 Hindi Essay, Short Speech For School Children Free Download


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हिन्दी हिन्दुस्तान को बांधती है. कभी गांधीजी ने इसे जनमानस की भाषा कहा था तो इसी हिन्दी की खड़ी बोली को अमीर खुसरो ने अपनी भावनाओं को प्रस्तुत करने का माध्यम भी बनाया. लेकिन यह किसी दुर्भाग्य से कम नहीं कि जिस हिन्दी को हजारों लेखकों ने अपनी कर्मभूमि बनाया, जिसे कई स्वतंत्रता सेनानियों ने भी देश की शान बताया उसे देश के संविधान में राष्ट्रभाषा नहीं बल्कि सिर्फ राजभाषा की ही उपाधि दी गई. कुछ तथाकथित राष्ट्रवादियों की वजह से हिन्दी को आज उसका वह सम्मान नहीं मिल सका जिसकी उसे जरूरत थी.

संविधान ने 14 सितंबर, 1949 को हिन्दी को भारत की राजभाषा घोषित किया था. भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343 (1) में यह वर्णित है कि “संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी. संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय होगा.

इसके बाद साल 1953 में हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है.

जिस हिन्दी को संविधान में सिर्फ राजभाषा का दर्जा प्राप्त है उसे कभी गांधी जी ने खुद राष्ट्रभाषा बनाने की बात कही थी. सन 1918 में हिंदी साहित्य सम्मलेन की अध्यक्षता करते हुए गांधी जी ने कहा था की हिंदी ही देश की राष्ट्रभाषा होनी चाहिए. लेकिन आजादी के बाद ना गांधीजी रहे ना उनका सपना. सत्ता में बैठे और भाषा-जाति के नाम पर राजनीति करने वालों ने हिन्दी को राष्ट्रभाषा नहीं बनने दिया.

पहली बार सही मायनों में हिन्दी की खड़ी बोली का इस्तेमाल अमीर खुसरों की रचनाओं में देखने को मिलता है. अमीर खुसरो ने हिन्दी को अपनी मातृभाषा कहा था.

इसके बाद हिन्दी का प्रसार मुगलों के साम्राज्य में ही हुआ. इसके अलावा खड़ीबोली के प्रचार-प्रसार में संत संप्रदायों का भी विशेष योगदान रहा जिन्होंने इस जनमानस की बोली की क्षमता और ताकत को समझते हुए अपने ज्ञान को इसी भाषा में देना सही समझा.

भारतीय पुनर्जागरण के समय भी श्रीराजा राममोहन राय, केशवचंद्र सेन और महर्षि दयानंद जैसे महान नेताओं ने हिन्दी की खड़ी बोली का महत्व समझते हुए इसका प्रसार किया और अपने अधिकतर कार्यों को इसी भाषा में पूरा किया. हिन्दी के लिए पिछली सदी कई दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है. इस सदी में हिन्दी गद्य का न केवल विकास हुआ, वरन भारतेंदु हरिश्चंद्र ने उसे मानक रूप प्रदान किया. खड़ी बोली को और भी प्रसार दिया महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” और सुमित्रानंदन पंत जैसे रचनाकारों ने.

आजादी की लड़ाई में हिन्दी ने  विशेष भूमिका निभाई. जहां एक ओर रविन्द्रनाथ टैगोर ने बांग्ला भाषा का ज्ञाता होते हुए भी हिन्दी को ही जनमानस की भाषा बताया तो वहीं देश के क्रांतिकारियों ने जनमानस से संपर्क साधने के लिए इसी भाषा का प्रयोग किया.

 

[youtube http://www.youtube.com/watch?v=FV_MPcfP2Uc]


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